किसी दूसरे का व्यंग्य शेयर करना व्यंग्यकार की बेइज्जती होती है, पर कई बार करने के अलावा चारा नहीं होता।

शाबाश डॉक्टर 'पथिक' 

आधी रात को एक चोर एक घर में घुसा। 
चोर ने नकाब पहना हुआ था।
कमरे का दरवाजा खोला तो बरामदे में एक बूढ़ी औरत सो रही थी,खटपट से उसकी आंख खुल गई।
 
चोर ने घबरा कर देखा तो वह बुढ़िया लेटे लेटे बोली, ''बेटा, तुम किसी भले घर के आदमी लग रहे हो, लगता है किसी परेशानी से मजबूर होकर इस रास्ते पर लग गए हो। चलो कोई बात नहीं। अलमारी के तीसरे बक्से में एक तिजोरी है। इस का सारा माल तुम चुपचाप ले जाना। मगर पहले मेरे पास आकर बैठो, मैंने अभी-अभी एक ख्वाब देखा है। वह सुनकर जरा मुझे इसका मतलब तो बता दो।"

चोर उस बूढ़ी औरत की रहमदिली से बड़ा अभिभूत हुआ और चुपचाप उसके पास जाकर बैठ गया।
बुढ़िया ने अपना सपना सुनाना शुरु किया, ''बेटा, मैंने देखा कि मैं एक रेगिस्तान में खो गइ हूँ। ऐसे में एक चील मेरे पास आई और उसने 3 बार जोर जोर से बोला चौकीदार! चौकीदार! चौकीदार! बस फिर ख्वाब खत्म हो गया और मेरी आँख खुल गई। जरा बताओ तो इसका क्या मतलब हुआ?''

बुढ़िया शातिर थी।
उसने सोचा कि उसकी आवाज सुनकर सोसाइटी का चौकीदार आ जायेगा और उसे बचा लेगा।

पर कोई नही आया।

क्योंकि जो चोर था दरअसल वही उस सोसाइटी का चौकीदार था।
चौकीदार ही चोर था मित्रों।

फिर उस चोर ने सुकून से चोरी की और ज्यादा श्यानपंती दिखाने के जुर्म में बुढ़िया को 2 झापड़ भी मारे।